Friday, August 1, 2025

Gene Bank: नया राष्ट्रीय जीन बैंक भविष्य की बुनियाद, सरकार करे इस जैविक संपदा का संरक्षण

 डॉ. सुमन सहाय, संस्थापक निदेशक, जीन कैम्पेन 

सार

Gene Bank: भारत सरकार ने दूसरा राष्ट्रीय जीन बैंक (National Gene Bank) स्थापित किए जाने की घोषणा की है। पौधों एवं जीवों के जर्म प्लाज्म यानी उनके जीन्स हमारी जैविक संपदा हैं। खाद्य संप्रभुता और टिकाऊ भविष्य के लिए इस संपदा का स्वामित्व और नियंत्रण सरकारी संस्थाओं के पास होना चाहिए। 

नए जीन बैंक की स्थापना में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की भागीदारी की बात कही गई है।

नए जीन बैंक की स्थापना में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की भागीदारी की बात कही गई है। - फोटो : गांव जंक्शन

खेती और खाद्य सुरक्षा पर बढ़ती वैश्विक चिंताओं के बीच भारत सरकार ने इस साल बजट में दूसरा राष्ट्रीय जीन बैंक (National Gene Bank) स्थापित करने की घोषणा की है। इस नए जीन बैंक का उद्देश्य खाद्य सुरक्षा और कृषि क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन (Climate Change) एवं प्राकृतिक आपदाओं (Natural Disasters) से जुड़ी चुनौतियों से लड़ने के लिए अधिक मजबूती प्रदान करना है। जीन बैंक केवल राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी खाद्य सुरक्षा (Food Security) के लिए जरूरी हैं। इसीलिए, नया जीन बैंक बनाने के निर्णय का स्वागत किया जाना चाहिए। हालांकि, नए जीन बैंक की स्थापना की बात हो रही है तो आम जनमानस को भी इसकी अवधारणा, आवश्यकता और इससे जुड़ी चुनौतियों को समझना चाहिए।

बीजों की आनुवंशिक विविधता हमारी अमूल्य धरोहर है, जीन बैंक इसे संजोने का काम करते हैं।

बीजों की आनुवंशिक विविधता हमारी अमूल्य धरोहर है, जीन बैंक इसे संजोने का काम करते हैं। - फोटो : गांव जंक्शन

जलवायु परिवर्तन और जीन बैंक (Climate Change and Gene Bank)


जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम का पैटर्न बदल रहा है। बाढ़, सूखा, जंगल की आग जैसी आपदाएं आम हो गई हैं। भविष्य में, इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने के लिए अभी से तैयारी करनी होगी। जीन बैंक इसी तैयारी का एक अहम हिस्सा हैं। भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में विभिन्न देश अपने-अपने तरीके से जीन बैंक बना रहे हैं। मिसाल के तौर पर, फिलीपींस में इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (IRRI) में धान की हजारों प्रजातियों को संरक्षित किया गया है। अगर किसी देश में आपदा के कारण धान की प्रजाति नष्ट हो जाए या जलवायु परिवर्तन के कारण नई प्रजाति की जरूरत पड़े, तो वहां से बीज लिए जा सकते हैं।

जलवायु परिवर्तन ने फसलों के समय को पूरी तरह बदल दिया है। पहले किसानों को पता था कि बिचड़ा बोने का समय कब है और फसल को खेत में ले जाने का समय कब है। लेकिन, अब बेमौसम बरसात होती है। फसलों की जो प्रजातियां पहले फलती-फूलती रही हैं, वो बदलती जलवायु के चलते शायद भविष्य में टिक पाएं। इसके लिए, हमें नई प्रजातियों की जरूरत होगी और यह तभी संभव है जब हमारे पास बीजों का भंडार हो। जीन बैंक इस समस्या का एक ठोस जवाब हैं। भारत में भी हैदराबाद में भी एक अंतरराष्ट्रीय जीन बैंक स्थापित है, जहां कई तरह के बीजों का संरक्षण किया जाता है। जीन बैंकों में लिक्विड नाइट्रोजन और शून्य से कम तापमान पर बीजों को संरक्षित रखा जाता है। इस तरह, बीज लंबे समय तक जीवित रहते हैं। जीन बैंक भविष्य की आपदाओं से निपटने का एक मजबूत मॉडल हैं। 

खाद्य संप्रभुता यानी हमारे भोजन का नियंत्रण हमारे अपने हाथों में होना चाहिए।

खाद्य संप्रभुता यानी हमारे भोजन का नियंत्रण हमारे अपने हाथों में होना चाहिए। - फोटो : गांव जंक्शन

खाद्य संप्रभुता (Food Sovereignty) का सवाल 
नए जीन बैंक की स्थापना में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की भागीदारी की बात कही गई है। लेकिन, क्या यह कदम वास्तव में हमारी जरूरतों को पूरा करेगा? क्या यह हमारी खाद्य संप्रभुता (Food Sovereignty) को सुरक्षित रखेगा? इस पर विचार करने की जरूरत है। निजी क्षेत्र की भागीदारी इस योजना से जुड़ा एक ऐसा पहलू है, जो चिंता का विषय है। सही मायनों में तो खाद्य सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार, विश्वविद्यालयों, और सार्वजनिक शोध संस्थानों के पास होनी चाहिए।

खाद्य संप्रभुता यानी हमारे भोजन का नियंत्रण हमारे अपने हाथों में होना चाहिए। भारत ने इसके लिए लंबी लड़ाई लड़ी है। वर्ष 2000 के दशक में बीजों के पेटेंट के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन हुआ, जिसका मकसद यह सुनिश्चित करना था कि बीजों पर किसी निजी कंपनी का कब्जा हो। इस दौरान भारत ने बीजों पर पेटेंट को अस्वीकार किया था। जीन कैम्पेन की इस जैविक संपदा के संरक्षण और नीतिगत हस्तक्षेप में बड़ी भूमिका रही है। 

प्राइवेट सेक्टर को बीजों के संरक्षण के काम में शामिल किया जाता है, तो बीजों पर उनका प्रभुत्व बढ़ सकता है।

प्राइवेट सेक्टर को बीजों के संरक्षण के काम में शामिल किया जाता है, तो बीजों पर उनका प्रभुत्व बढ़ सकता है। - फोटो : गांव जंक्शन

जीन बैंक में निजी क्षेत्र की भूमिका (Role of Private Sector in Gene Bank)
यह समझना होगा कि यहां बात प्राइवेट सेक्टर को जीन बैंक के फायदों से वंचित करने की नहीं है। प्राइवेट सेक्टर के पास तो जीन बैंक से बीज प्राप्त करने का अधिकार पहले से ही है, जिससे वे नई किस्मों के बीज का विकास करते रहे हैं। लेकिन, बीजों के संरक्षण में उनकी भागीदारी जरूरी नहीं है। संरक्षण का काम किसानों के खेतों से बीज इकट्ठा करना और उन्हें जीन बैंक में संरक्षित करके रखना है। जिसके पास संरक्षण की जिम्मेदारी होगी, उसकी इस मोर्चे पर ताकत बढ़ेगी।

जर्म प्लाज्म (Germ Plasm) यानी जेनेटिक मैटेरियल बीज या किसी भी पादप सामग्री में मौजूद जीन हमारी जैविक संपदा हैं। यह संपदा केवल पौधों तक सीमित नहीं है, बल्कि गाय, बकरी जैसी पशु प्रजातियों के संरक्षण में भी शामिल है। लेकिन, इन सभी जर्म प्लाज्म का स्वामित्व और नियंत्रण राष्ट्रीय संस्थाओं के पास होना चाहिए। प्राइवेट सेक्टर को इसमें शामिल करने से हमारी खाद्य सुरक्षा और जैव-विविधता के लिए चिंताएं खड़ी हो सकती हैं। इसीलिए, बेहतर होगा कि जर्म प्लाज्म के संरक्षण का काम राष्ट्रीय संस्थाओं, विश्वविद्यालयों, और शोध संस्थानों के पास ही रहे।

अगर प्राइवेट सेक्टर को बीजों के संरक्षण के काम में शामिल किया जाता है, तो बीजों पर उनका प्रभुत्व बढ़ सकता है। हालांकि, प्राइवेट सेक्टर संरक्षित बीजों से नई प्रजातियां विकसित करके मुनाफा कमा सकते हैं। लेकिन, उस मुनाफे का एक हिस्सा किसानों को भी मिलना चाहिए। इसके लिए एक नेशनल फंड स्थापित किया गया है, जिसमें योगदान देकर प्राइवेट सेक्टर को भी किसानों के कल्याण के लिए अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। जैसे किसी तकनीक के लिए ट्रांसफर फीस दी जाती है, वैसे ही बीजों पर पहला हक किसानों का है और उसका लाभ भी किसानों को मिलना चाहिए। 

जीन बैंक बीजों को संरक्षित करने का एक वैज्ञानिक तरीका है।

जीन बैंक बीजों को संरक्षित करने का एक वैज्ञानिक तरीका है। - फोटो : गांव जंक्शन

जीन बैंक क्या होता है (What is a Gene Bank)
जीन बैंक (Gene Bank) को समझने से पहले हमें यह जानना जरूरी है कि जीन क्या होता है। जीन वह आनुवंशिक इकाई है, जो किसी भी जीव की विशेषताओं को निर्धारित करती है। उदाहरण के लिए, आपके बाल काले हैं या भूरे, आपकी नाक छोटी है या लंबी - यह सब जीन के कारण ही होता है। इसी तरह, फसलों के बीजों में मौजूद जीन यह तय करते हैं कि फसल कितनी पैदावार देगी, उसमें कीड़े लगेंगे या नहीं और उसकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कितनी होगी। जीन बैंक बीजों को संरक्षित करने का एक वैज्ञानिक तरीका है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हमारे पास जीन का एक भंडार हमेशा उपलब्ध रहे, जिसे जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल किया जा सके। 

देश का पहला जीन बैंक (India's First Gene Bank)
भारत में पहला जीन बैंक 1996 में दिल्ली में स्थापित किया गया था। यहां देशभर की विभिन्न फसल प्रजातियों के बीजों को संरक्षित किया गया है। संरक्षण का मतलब होता है बीजों को लंबे समय तक जीवित रखना। सामान्य तौर पर, बीज कुछ सालों तक तो ठीक रहते हैं, लेकिन उसके बाद खराब होने लगते हैं। बीजों को जीवित रखने के लिए इन्हें ठंडे वातावरण में रखा जाता है, जिसे कोल्ड स्टोरेज कहते हैं। इससे उनकी जीवन अवधि बढ़ जाती है। जीन बैंक का मकसद यही है कि बीज कई सालों तक सुरक्षित रहें, ताकि प्राकृतिक आपदाओं, जैसे - बाढ़, सूखा या भूकंप के बाद इनका इस्तेमाल दोबारा खेती शुरू करने के लिए किया जा सके। 

लद्दाख का अनूठा जीन बैंक  (Unique Gene Bank of Ladakh)
भारत में जीन बैंक की एक अनोखी मिसाल लद्दाख के चांगला में देखने को मिलती है। इसे एक बैकअप जीन बैंक की तरह समझा जा सकता है। यहां प्राकृतिक ठंड का इस्तेमाल बीजों को संरक्षित करने के लिए होता है। चांगला में हमेशा बर्फ रहती है, जिसे परमानेंट फ्रॉस्ट कहते हैं। यहां बिजली से रेफ्रिजरेशन की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे यह पर्यावरण के लिहाज से भी बेहतर है। इस जीन बैंक में कई फसलों के बीज संरक्षित किए जाते हैं। यह एक स्मार्ट और टिकाऊ पहल है, जो प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर उपयोग करती है। 

देश में कई ऐसे जीन बैंक स्थापित किए गए हैं, जो किसानों के साथ मिलकर काम करते हैं।

देश में कई ऐसे जीन बैंक स्थापित किए गए हैं, जो किसानों के साथ मिलकर काम करते हैं। - फोटो : गांव जंक्शन

जीन बैंक में किसानों की भागीदारी (Farmers' Participation in Gene Bank)
जीन बैंक केवल बड़े वैज्ञानिक संस्थानों तक सीमित नहीं हैं। देश में कई ऐसे जीन बैंक स्थापित किए गए हैं, जो किसानों के साथ मिलकर काम करते हैं। लेकिन, इन बैंकों को चलाने में बिजली का खर्च एक बड़ी चुनौती है। इसे हल करने के लिए एक दूसरा तरीका अपनाया जाता है। हर दो-तीन साल में बीजों को खेतों में उगाया जाता है। नई फसल से बीज लेकर फिर इन्हें बैंक में रखा जाता है। इससे बिजली का खर्च बचता है और किसानों की भागीदारी भी सुनिश्चित होती है। झारखंड, आंध्र प्रदेश, और पूर्वोत्तर भारत में यह तरीका सफलतापूर्वक अपनाया गया है। इसे भी जीन बैंक का एक रूप कहा जा सकता है, जो स्थानीय स्तर पर खाद्य सुरक्षा को मजबूत करता है। 

गहन सोच-विचार की जरूरत 
नए जीन बैंक की स्थापना का स्वागत करना चाहिए, क्योंकि यह हमारी खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में एक मजबूत पहल साबित हो सकती है। लेकिन, प्राइवेट सेक्टर को इस पहल में शामिल करने से पहले गहराई से सोच-विचार करना होगा। संरक्षण का काम राष्ट्रीय स्तर पर होना चाहिए, ताकि किसानों और देश का हित सुरक्षित रहे। खाद्य संप्रभुता हमारे हाथ में होनी चाहिए, और जीन बैंक इसके लिए एक मजबूत आधार बन सकते हैं।

 Source: https://www.gaonjunction.com/gaon-post/drishtikon/new-national-gene-bank-is-the-foundation-of-the-future-government-should-conserve-this-biological-wealth

 

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